मेरा मज़हब तो मेरे नाम से जाना होगा।

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मेरा मज़हब तो मेरे नाम से जाना होगा।
मेरे खून को किसी ने तो पहचाना होगा।
रग रग में इंसानियत ही लायी हूँ।
मैं हर जाति की बेटी हूँ, किसी एक धर्म में बटने नही आयी हूँ।
मेरी हर रूँह में बस एक ही खून दौड़ता हैं,सब मेरे अपने हैं बस यही मेरा दिल हर शब्दों में बोलता हैं।
मेरी मिट्टी मुझे बस यही सिखाती हैं ,जिसमे कदम मेरे पड़े उसी मिट्टी में हर धर्म दौड़ता हैं।
पूरी दुनिया में बस एक ही मिट्टी की महक हैं।
फिर भी न जाने क्यों हर एक में धर्मो को बाँटने की सनक हैं।
मैंने तो सीखा हैं सबसे सबको पहचानने का हुनर ,मुझमे तो रिश्तों को बनाने की ललक हैं।
मैंने हर जाति धर्मो में अपना परिवार ही पाया हैं।
कैसे कह दू की मुझे एक परिवार ने अपनाया हैं।
मेरी माँ का साया मुझ पर हर पल रहता हैं।
मगर हर माँ का हाथ भी मेरे सर पर रहता हैं ।
मैंने बस अपनी दुनिया में रिश्ता ही कमाया हैं
जब से आँखे खोली खुद को मिट्टी में ही पाया हैं ।
इसकी खुसबू मेरी साँसों में बसी है ।
इसके रास्तो पर चल कर मैंने खुद को काबिल बनाया हैं।
कैसे खुद को लोग बदक़िस्मत कहते हैं।
मैंने तो सबको इस दुनिया में अपना ही बनाया हैं।
न हिन्दू न मुस्लमान अलग हैं,ये बस हमारे सोचने का नजरिया गलत हैं।
लाख बोलते हैं सब धर्मो की तरफ से
ईद ,होली हो या दीवाली लोग मिलते हैं गले खुशियों से ।
साँसे जाती हैं घुल उन फिज़ाओ में इस कदर
वही साँसे मिलती हैं इन हवाओ में हर तरफ।
कैसे सब साँस को लेना छोड़ देंगे।
जिस दिन ये सोच सच्चाई बन गयी लोग जीना ही छोड़ देंगे।
इन हवाओं में हर शक्स साँस लेता हैं
कौन सा धर्म बिना साँस लिए रहता हैं।
हर धर्म अपना हैं बस ये ही एक सच दुनिया में आया है
जिसने इस सच को अपनाया उसी ने अपना नाम दुनिया मे बनाया हैँ।।।।।

--------शैल मिश्र।।।।।।

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